नरेन्द्र मोदी विचार मंच का संक्षिप्त परिचय
इस संगठन का गठन 22 जून 2004 को राष्ट्रवादी गणमान्य व्यक्तियों, पत्रकार बन्धुओं, राष्ट्रवादी गैर सरकारी संगठनों एवं संघ के पूर्व वरिष्ठ प्रचारकों द्वारा किया गया। जो लोग अपने अन्तःकरण में शक्तिशाली, समृद्धशाली एवं सामर्थशाली भारत के पुनर्निर्माण का स्वप्न संजोए थे तथा तमाम महानुभावों एवं संस्थाओं को एक मंच पर लाना ही परम उद्देश्य था। इसीलिए इस संगठन का नाम नरेन्द्र मोदी विचार मंच रखा गया था। ना कि संगठन, समिति, दल अथवा संस्था। मंच का अभिप्राय हम सब का यह था एक ऐसा स्टेज जिस पर सभी भाषा, प्रान्त, जाति, सम्प्रदाय के लोग राष्ट्रधर्म को सर्वोपरि मान कर भारत माता की सेवा में लगकर परमवैभव राष्ट्र के पुनर्निमाण में जुट जायें।
हम सब जिस विश्व के महान संगठन के संस्कारित स्वयं सेवक है उसमें व्यक्ति निष्ठा का कोई स्थान नहीं है। फिर यक्ष प्रश्न उठा कि नरेन्द्र मोदी जी के नाम पर ही संगठन क्यों बनाया जाये। सभी राष्ट्रवादी बन्धुओं ने कहा किसी न किसी व्यक्ति को जो लोकतंत्रीय व्यवस्था मे अद्भुत नेतृत्व की शक्ति रखता हो उसी को आदर्श तो बनाना ही होगा। जिसके द्वारा विश्वगुरू के गरिमामय पद पर भारत माता को बिठाया जाये। दूसरा यक्ष प्रश्न यह भी था कि हमारा आदर्श ऐसा हो जो जीवित व्यक्ति हो, जिसका जीवन मर्यादा पुरूषोत्तम की भौति हो, जिसका जीवन सादगी एवं साधना तथा तप से परिपूर्ण हो, जिसका खान-पान, आचरण, चरित्र एवं राष्ट्र भक्ति अतुलनीय हो।
हमारा लक्ष्य
नरेन्द्र भाई की कार्य कुशलता , प्रशासनिक क्षमता , धैर्य , चरित्र , योजना क्षमता तथा जनता से सीधा संवाद स्थापित करने वाली साधारण सी काया में असाधारण सा व्यक्तित्व से विरोधी दलों में जो भय व्याप्त था उस परमवैभव राष्ट्र रूपी अश्वमेघ यज्ञ को रोकने का प्रयास सफल किया था या यूँ कहे कुछ कुछ राष्ट्र विरोधी लोगों ने परमवैभव राष्ट्रना बने उसे साकार रूप दे दिया । ऐसी स्थिति में नरेन्द्रभाई को जलता हुआ गुजरात विरोधी दलों के षड्यंत्रों से मिला । नरेन्द्रभाई के सामने सबसे बडी चुनौती थीं गुजरात को नई दिशा और दशा देना । जलते हुए गुजरात की जनता में भाई चारा स्थापित करना , युवाओं को रोजगार देना तथा सम्पूर्ण प्रदेश की जनता को जीवन मूल्य की सारी सुविधायें प्रदान करना ।
संघ गीत
संगठन गढ़े चलो, सुपंथ पर बढ़े चलो। भला हो जिसमें देश का, वो काम सब किए चलो ।।
युग के साथ मिल के सब कदम बढ़ाना सीख लो। एकता में स्वर में गीत गुनगुनाना सीख लो। भूल कर भी मुख में जातिपंथ की न बात हो। भाषा प्रांत के लिए कभी ना रक्तपात हो । फूट का भरा घड़ा है फोड़ कर बढ़े चलो।।
आ रही है आज चारों ओर से यही पुकार। हम करेंगें त्याग मातृभूमि के लिए अपार । कष्ट जो मिलेंगें मुस्कुरा के सब सहेंगें हम। देश के लिए सदा जिएगें और मरेंगें हम । देश का ही भाग्य अपना भाग्य है ये सोच लो ।।
संगठन गढ़े चलो, सुपंथ पर बढ़े चलो। भला हो जिसमें देश का, वो काम सब किए चलो ।।